खामोश हूं पर सवाल बहोत हैं मन में जवाब है पर सुनना नहीं चाहता दिल की क्या करूं कभी-कभी कन्फ्यूज हो जाता हूं खुद से किए गए सवालों से सब कुछ जानते हुए भी ऐसे अन्जान बन जाता हूं जैसे मै कुछ जानता ही नहीं मैं जानता हूं की अब मुझे आगे क्या करना चाहिए पर फिर भी पता नही क्यों घबराता हूं आगे कदम बढ़ाने से शायद अब मैं कुछ ज्यादा ही सोचता हूं इसलिए फैसला नहीं ले पाता अब सोचना बंद करके सिर्फ करना है ताकि किसी रिजल्ट पे पहचू जीत या हार वो तो समय बताएगा पर अभी तो सबकुछ मुझे ही बताना है सवाल खुद से