||का होगे तोला रेे बादर|| का होगे तोला रे बादर, अब तय अतिक काबर तरसावत हस| धरती के भगवान ला तै अतिक काबर रोवावत हस ||1 आषाढ निकल गे सावन अधियागे ,तभो ले तै मिटकाये हस | का होगे अतेक तय , मोर छईया भुईयां ला तपाय हस ||2 सावन हा भागत हे ,भादो हा आवत हे | तोर रद्दा देखत देखत दिन हा पहावत हे ||3 नदिया हा सुखा गे , नरवा हा सुखा गे | तोर अगोरा मा, किसान हा रिसा गे ||4 आषाढ़ मा बूंद भर गिरा के, सावन भर तरसा देस | का गलती होगे हमर ले ,कि तय बुंद बुंद बर रोवा देस ||5 खेत सुखागे ,खार सुखागे | तोर अगोरा म ,अब धान घलो पिंवरा गे ||6 सावन के निकलती म अउ झन न तरसाना रे | का होगे तोला रे बादर ,अब अउ झन रोवाना रे ||7 आधा तो कोरोना तरसावत हे,अब तहु झन तरसाना रे | अाजा ना रे बादर ,अब अऊ झन तरसाना रे ||8 जयदीप सिन्हा ✍️ 8435330330 आजा ना रे बादर Suman Zaniyan