बहे आंसू बेचैन दिल तड़पे होठों पे मुस्कान रख कवि अपना दर्द पोछे स्याही से जख्मों को खुरेद अलंकार में परोसे पढ़ें लोग कविता करें वाह वाह पर व्यथा संवेदनशील की कौन समझे। #मेरे_जज्बात008 #लेखक_की_कलम_से #हकीकत_बयां #yqdidi #yqbaba #kunu