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#OpenPoetry तुझे अपने पास बुलाकर देखूँ क्या, बेव

#OpenPoetry तुझे अपने पास बुलाकर देखूँ क्या, 
 बेवक़्त बेवजह तुझे सताकर देखूँ क्या...
तुझसे बातें किये बिना दिल मानता नहीं, 
 पर आज दिल को बेवकूफ बनाकर देखूँ क्या...
अजमाइस हर दफा मोहब्बत ने की है मेरी, 
 आज मोहब्बत को आजमाकर देखूँ क्या...
जितने बरस बीते तन्हाइयों मे तेरे बिना, 
 उन्हें अपनी यादों से मिटाकर देखूँ क्या...
बारिश मे भीगकर जैसे फूलों को सुकूँ मिलता हैं, 
 आज आँखों को तेरी मोहब्बत मे भिगाकर देखूँ क्या... 
जर्रा जर्रा बेसबर हैं मेरा तुझे छू जाने के लिए, 
 खुद को थोड़ा और तड़पाकर देखूँ क्या... 
खुद को इस-कदर तैयार करता हूं के तुझे अच्छा लगूँ, 
 तू जब भी देखे थोड़ा सरमाकर देखूँ क्या... 
लड़किया छेड़ती हैं परेशान करती हैं मुझे, 
 मैं सिर्फ तेरा हु उन्हें बताकर देखूँ क्या... #OpenPoetry (part-1)
#OpenPoetry तुझे अपने पास बुलाकर देखूँ क्या, 
 बेवक़्त बेवजह तुझे सताकर देखूँ क्या...
तुझसे बातें किये बिना दिल मानता नहीं, 
 पर आज दिल को बेवकूफ बनाकर देखूँ क्या...
अजमाइस हर दफा मोहब्बत ने की है मेरी, 
 आज मोहब्बत को आजमाकर देखूँ क्या...
जितने बरस बीते तन्हाइयों मे तेरे बिना, 
 उन्हें अपनी यादों से मिटाकर देखूँ क्या...
बारिश मे भीगकर जैसे फूलों को सुकूँ मिलता हैं, 
 आज आँखों को तेरी मोहब्बत मे भिगाकर देखूँ क्या... 
जर्रा जर्रा बेसबर हैं मेरा तुझे छू जाने के लिए, 
 खुद को थोड़ा और तड़पाकर देखूँ क्या... 
खुद को इस-कदर तैयार करता हूं के तुझे अच्छा लगूँ, 
 तू जब भी देखे थोड़ा सरमाकर देखूँ क्या... 
लड़किया छेड़ती हैं परेशान करती हैं मुझे, 
 मैं सिर्फ तेरा हु उन्हें बताकर देखूँ क्या... #OpenPoetry (part-1)
prakash4355

prakash

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