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पुलवामा के वीरों से, घात करे थे घाटी में। ब

पुलवामा  के  वीरों  से,  घात  करे थे  घाटी  में।
बैठे गोडसे दिल्ली में, जयचंद पावन माटी में।

गीदड़  पहुंचे  शेरों  तक, छल कर तेरी  गोदी  में।
हंसते-हंसते शहादत पाएं, नगराज की चोटी में।

गंगा यमुना चीख उठी,सिंदूर मिली जब माटी में।
भेंट चढ़ी थी कितनी राखी, जन्नत तेरी छाती में।

बेबस बुढ़ी आंखें छलकी,इन वीरों की यादों में।
अरमानों की अर्थी उठी, वृद्ध पिता के कंधों में।

बिलख बिलख मां रोई, उम्मीदें बिखरी लाशों में।
नन्ही नन्ही परियां चीखी, सपने मिल गये माटी में।

आज तिरंगा लिपट रो रहा, इन वीरों की छाती में।
हिंदुस्तानी धरती रोये, इन शेरों की  शहादत में।

नाम अमर रहेंगे इनके, भारत के इतिहास में।
नतमस्तक है हिंद हमारा, महावीरों की शान में।

कदम उठा लो अंतिम, गोली दागों दुश्मन में।
अब मत खोजों मानवता, इन नरभक्षी गिद्धों में।

डॉ भगवान सहाय मीना
बाड़ा पदमपुरा जयपुर राजस्थान।

©Dr. Bhagwan Sahay Rajasthani
  #पुलवामा अटैक