जिधर भी पलटती हूं दुख ही बन जाती हूं ना चाह कर भी हंस पढ़ती हूं.... बस अहि सोचती रहती हूं कुछ ऐसा कर जाऊं सुख ना सही दुख तो ना बन पाउं.. 😔😔😔😔😔😔😔😔😔😭😥😥😥 😟😟😟😟😟😟😟😩😩😩😩😩 यह आत्मा कुरेदीती है ,,और नैनों की नदियों की धारा बन जाती है, समझ ही नहीं आता कि य धाराएं किस महासागर में जाकर मिलती है . .... #door #buddies #Shahryaar आत्म.,..