धरती में रोपे बीज, बीज के भीतर सोये हम । हम करते नाद सुनो जलकण, जलकण करता धारण क्षण-क्षण ।। क्षण-क्षण में बीत गया एक वर्ष, वर्ष में बीज बने पौधे । पौधे में खिली हुई कोंपल, कोंपल के अंदर पलता फल ।। फल टूटा आया मेरे हाथ, हाथ से कहता दिल की बात । बात सुनकर मैं लिखता काव्य, काव्य शब्दों से बहता रस ।। रस पी कर मनुवृन्दा मन मस्त, मस्त हो छेड़ सुरों का राग । राग से बहता प्रेम पराग, पराग हो जैसे कोई फूल ।। फूल बनते खुशियों का मूल, मूल जड़ चेतन के ईश्वर । ईश्वर भरते प्रकृति में प्राण, प्राण बीजारोपण सन्धान ।। "बीज की कहानी" "The Story of A Seed" बीजारोपण की पुनरावृत्ति की एक अनुपम कृति.. काव्यात्मक नाद से परिपूर्ण.. Speechless Hence.. Much Love..