हिंदूस्तान तो आजाद हैं, मैं मगर पराधीन हूँ, इस समाज के संदर्भ में , मैं अस्तित्वहीन हूँ, फाईलों में खो गया हूँ , मैं मामला संगीन हूँ, मुल्क़ की अदालतों में, अभी विचाराधीन हूँ !! मैं दोगले नेताओं के भाषण में हूँ , नारों में हूँ, रद्दी के भाव बिकने वाले, चंद अखबारों में हूँ, चुनाव में ही दिखते हैं जो, ऐसे इश्तिहारों में हूँ, यूँ तो हूँ सर्वत्र में , मैं नुक्कड़ और चौबारों में हूँ !! मैं देश के हर शख़्स की, दबी हुई सी आवाज़ हूँ, ना दे सुनाई कानों को, इक ऐसा मद्धम साज़ हूँ, मुद्दतों से हूँ दफ्न मैं, शायद अनसुना सा राज हूँ, मैं देश का भविष्य हूँ, भूत हूँ, और मैं ही आज हूँ !! विस्तृत वर्णन हूँ संघर्षों का, बलिदानों का सार हूँ, खामोश रहूँ तो सुलह बनूँ और बोलूं तो तकरार हूँ, मैं मैला और कुचला सा हूँ, सबको यूंही स्वीकार हूँ, मैं ही पर्व हूँ गणतंत्र का, मैं स्वतंत्रता का त्यौहार हूँ !! कल सुबह जब ब्रांच के लिए घर से निकला तो अचानक ही मेरी नजर सड़क किनारे, तिरंगा बेचते हुए एक बच्चे पर गयी !! वो बच्चा मैले से, फटे हुए कपड़ों में, तेज बारिश में भीगता हुआ, आने जाने वाले लोगों को रोकता और तिरंगा बेचने की कोशिश करता!! मैंने अपनी दुपहिया उस बच्चे के पास ले जाकर रोकी और पूछा, कितने का दिया, और वो झट से बोला, २० रूपये का !! मैंने उससे दो तिरंगे लिए और ४० रूपये उसे थमा दिये और एक तिरंगा भी उसे पकडाते हुए मैंने कहा, ये झंडा तू रख ले और अपने घर ले जा कर फहराना १५ अगस्त को !! वो थोड़ा सा मुस्कुराया और फिर खामोशी से मुझे देखने लगा, जैसे मुझे बहुत कुछ कहना चाहता हो!! मैं वहाँ से निकल गया लेकिन रास्ते भर यही सोचता रहा कि शायद उसकी खामोश ने भी उसकी थोड़ी बहुत कहानी बयां कर ही दी मुझसे!! उसकी ज़रा सी मुस्कुराहट और फिर खामोशी काफी थे उसके दर्द,उसके संघर्ष और उसकी परिस्थितियों को समझाने के लिए !! उस बच्चे के अनकहे अल्फ़ाज़ों को मैंने अपने शब्दों में पिरोने की छोटी सी कोशिश की हैं कि यदि बच्चा अगर अपने बारे में कुछ बता पता, अपनी मनोदशा का वर्णन कर पाता तो कुछ इस तरह से करता!! ७४ वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!! 🇮🇳🇮🇳 #स्वतंत्रतादिवस #आजादी #अनकहेअल्फ़ाज़ #yqindependenceday #yqdidi #yqhindisahitya #yqhindipoetry #yqhindiquotes