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हम लड़के पिता को गले नहीं लगाते | हम लड़के पिता के

हम लड़के पिता को गले नहीं लगाते | हम लड़के पिता के गालों को नहीं चूमते , और न ही पिता की गोद में सिर रखकर सुकून से सोते हैं | पिता - पुत्र का रिश्ता मर्यादित होता हैं !

   अक्सर जब घर पर फ़ोन करता हूं, मां से बात होती हैं | पीछे से दबे - दबे शब्दों में पिताजी भी कुछ कहते हैं | सवाल पूछते हैं या फ़िर सलाह तो देते ही हैं | कुछ नहीं होता हैं जब कहने को, तो खांसने की आवाज़ उनकी मौजूदगी दर्ज़ कराने के लिए काफ़ी होती हैं | पिता की शिथिल होती तबियत का हाल भी हम लड़के मां से पूछते हैं, और मां के सहारे ही दवाइयों, परहेज़, व्यायाम, इत्यादि की सलाह भी देते हैं |

   पिता - पुत्र शुरुआत से ही एक दूरी पर रहते हैं | दूरी अदब की, लिहाज़ की, संस्कार की, या फिर जेनरेशन गैप की | हर बेटे का मन करता हैं कि इन दूरियों को लांघता हुआ जाए और अपने पिता को गले से लगाकर कहें - आई लव यू डैडी ❤️ | जिस तरह मदर्स डे पर मां को विश करते हैं, उसी तरह फादर्स डे पर पिता को गले लगाकर विश करना हम सभी लड़कों का सपना हैं , मगर हम कभी कर नहीं पाते हैं | मां को जितना प्यार करते हैं, पिता को उतना ही सम्मान | और ये सम्मान की दीवार इतनी ऊंची हो चुकी हैं कि प्यार की छलांग उसे लांघ नहीं पाती हैं !

.....Raj ✍️

©जज़्बात लिखता हूं # मां पिताजी का प्यार

# मां पिताजी का प्यार

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