Nojoto: Largest Storytelling Platform

जब जब विचार आगे चलते हैं, स्वार्थ खुद-ब-खुद उनके प

जब जब विचार आगे चलते हैं,
स्वार्थ खुद-ब-खुद
उनके पीछे आते हैं!
हमने देखें हैं कई
मसले ऐसे जो बताते हैं
भक्ति बिना हेतु होती है,
भगवान आशीर्वाद से
भक्त के पेट भरते जाते हैं!
जब-जब स्वार्थ को
विचार का सारथी बनाया जाने लगा
बुना गया झूठ का ताना-बाना,
अनजाने ही चलन चल पड़ा,
प्रह्लाद हिरण्यकश्यपु की
पेंशन उठाने लगा और
हिरण्यकश्यपु को प्रह्लाद के संग
मंदिर में पूजा जाने लगा!
ये परिवर्तन भी आजकल
हृदय की सतहों पे लिखा जाने लगा! पॉलिटिकल हृदय-परिवर्तन।
जब जब विचार आगे चलते हैं,
स्वार्थ खुद-ब-खुद
उनके पीछे आते हैं!
हमने देखें हैं कई
मसले ऐसे जो बताते हैं
भक्ति बिना हेतु होती है,
भगवान आशीर्वाद से
भक्त के पेट भरते जाते हैं!
जब-जब स्वार्थ को
विचार का सारथी बनाया जाने लगा
बुना गया झूठ का ताना-बाना,
अनजाने ही चलन चल पड़ा,
प्रह्लाद हिरण्यकश्यपु की
पेंशन उठाने लगा और
हिरण्यकश्यपु को प्रह्लाद के संग
मंदिर में पूजा जाने लगा!
ये परिवर्तन भी आजकल
हृदय की सतहों पे लिखा जाने लगा! पॉलिटिकल हृदय-परिवर्तन।

पॉलिटिकल हृदय-परिवर्तन।