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जो सिलवटें थी तुम्हारी भूला चुका हूँ मैं, ख़ुद को थ

जो सिलवटें थी तुम्हारी भूला चुका हूँ मैं,
ख़ुद को थपथपा कर सुला चुका हूँ मैं।
कोई जगा न दे इस बात से डरता हूँ,
मैं शायद आज भी तुमसे प्यार करता हूँ। कुछ प्यार के लिए।
जो सिलवटें थी तुम्हारी भूला चुका हूँ मैं,
ख़ुद को थपथपा कर सुला चुका हूँ मैं।
कोई जगा न दे इस बात से डरता हूँ,
मैं शायद आज भी तुमसे प्यार करता हूँ। कुछ प्यार के लिए।
farhankhan9164

Ferhan Diwan

New Creator