तेरे इंतजार में बीत गए है, ना जाने ही कितने बसंत। ना तुम आये और ना आई कोई खैर-खबर। इन खिलते हुए फूलों की खुशबू, तेरे होने का एहसास दिलाती हैं। तुमने किया है जो वादा मुझसे, बार बार दोहराती है। होठों से निकला वादे का हर लफ्ज, अब झुठलाता है यह बसंत। तेरे इंतजार में बीत गए है, ना जाने ही कितने बसंत। ना तुम आये और ना आई कोई खैर-खबर। कोयल की यह मीठी बोली तेरे गीत गुनगुनाती है। तेरे प्यार के संदेशों को मुझ तक पहुँचाती है। प्यार के मीठे गीत की धुन में, गम की कड़वाहट घोलता यह बसंत। तेरे इंतजार में बीत गए है, ना जाने ही कितने बसंत। ना तुम आये और ना आई कोई खैर-खबर। Day:15 तेरे इंतजार में बीत गए है, ना जाने ही कितने बसंत। ना तुम आये और ना आई कोई खैर-खबर।