अधूरा प्रेम खुशियां जीवन की उड़ी, आंखों में बसे सपने बह गए, बस खोखला शरीर रह गया, रूठ कर कोई मुझसे मेरा अपना खो गया, दिन में उजाला होकर भी घनघोर अँधेरा छा गया, ऐ मेरी प्यारी ज़िन्दगी कुछ तो बता आखिर तूने मुझे दी है किस बात की ये सज़ा, जिसे समझा था अपना वो ही बेगाना हो गया, पल भर की है ये सज़ा जीवन मेरा मुरझा गया, ज़िन्दगी तू ही बता आखिर ये क्या हो गया।। Ektayadav 1997 ##मेरी अधूरी#### कहानी ##