तुम्हारी अच्छाई हमें बहोत अच्छी लगती हैं ! तुम्हारी बुराई बहोत बुरी लगती हैं ! तुम्हारे सौ झूठ के आगे हमें तुम्हारी एक बात सच्ची लगाती हैं ! तुम एक बार माफ़ी मांगो, हम अपने आँशु भुला देते हैं ! दूसरी बार मांगो तो, तुम्हारे संग चले आते हैं ! हमारी खुद की बाते हमें गलत लगने लगती हैं, तुम्हारी सौ गलत बातें भी आखिर में हमें सच्ची लगती हैं ! तुमसे बिछड़ कर जीने के लिए जिंदगी कब तैयार हुई , सिर्फ़ जुदा होने के ख्याल से ही देखो आँखे हमारी नम होने लगती हैं..!! #सुचितापाण्डेय #दिलकासफ़र