White ये अनाज की पूलें तेरे कांधें झूलें तेरा चौड़ा छाता रे जन-गण के भ्राता शिशिर, ग्रीष्म, वर्षा से लड़ते भू-स्वामी, निर्माता। कीच, धूल, गन्दगी बदन पर लेकर ओ मेहनतकश! गाता फिरे विश्व में भारत तेरा ही नव-श्रम-यश। तेरी एक मुस्कराहट पर वीर पीढ़ियां फूलें। ये अनाज की पूलें तेरे कांधें झूलें। ©@BeingAdilKhan #Buddha_purnima I_surbhiladha