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खुले आसमान मे वो नंगे पाँव ज़ब पसराये उसने अपने पाँ

खुले आसमान मे वो नंगे पाँव
ज़ब पसराये उसने अपने पाँव
मै सर रख कर बिछा दूँ
तारों मे अपने सारे के सारे घाव।

©विवेक कुमार मौर्या (अज्ञात )
  अल्फाज़.39