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अपनी बांसुरी के धुन फिर सुनाओ न, आके बृन्दावन में

अपनी बांसुरी के धुन फिर सुनाओ न, 
आके बृन्दावन में शोर फिर मचाओ न !
गोपियां नाराज है आज कल तुमसे, 
आके उनके मन को रिझाओ न,!!
ओ कान्हा फिर से इस कलयुग में आओ न.... 

यशोदा मईया तेरे इंतजार में कब से सोयी नहीं है, 
लल्ला के इंतजार में मीठी सपनों में खोई नहीं है !
वो पचपन की शरारतें को याद कर रोती है मईया, 
आके उनको फिर से चैन से सुलाओ न !!
ओ कान्हा फिर से इस कलयुग में आओ न.... 

वो यमुना भी  कब से सुखी पड़ी है, 
सावन भी पता न क्यूं रूठी पड़ी है !
न ही ठीक से बरसती है बादलें अब, 
आके सभी को फिर से बुलाओ न !!
ओ कान्हा फिर से इस कलयुग में आओ न.... 

वो पांडव भी अब कहां ठीक से रहते हैं, 
वो द्रौपदियों  को हर रोज पीटते हैं, 
ऐसे तो मिट जाएगी सारी धरती, 
उनको भी कुछ आके बतलाओ न !!
ओ कान्हा फिर से इस कलयुग में आओ न.... 

अब वो सुदामा वाली दोस्ती नहीं मिलती , 
वो सतुआ और भुंजे वाली गठरी नहीं मिलती !
भूल गए हैं सब तेरे वो पुरानी दोस्ती को ओ कान्हा, 
एक बार आ के फिर से वो प्यारी युग लाओ न !!
ओ कान्हा फिर से इस कलयुग में आओ न.... 

वो मीरा भी अब तेरे  इंतजार में न रहती है, 
न ही तेरे परछाई को देख सवरती है !
हो गए है सब पश्चिमी सभ्यता के दीवानें, 
उन्हें अपनी सभ्यता के पाठ पढ़ाओ न !!
ओ कान्हा फिर से इस कलयुग में आओ न.... 
              :- संतोष 'सागर' ओ कान्हा फिर से इस कलयुग में आओ न....  #जन्माष्टमी #कृष्णा #शयामा __मुकेश-- Kђusђi SiŇgђ😟 Pratibha Tiwari(smile)🙂 Sandhya 💞 #suman#
अपनी बांसुरी के धुन फिर सुनाओ न, 
आके बृन्दावन में शोर फिर मचाओ न !
गोपियां नाराज है आज कल तुमसे, 
आके उनके मन को रिझाओ न,!!
ओ कान्हा फिर से इस कलयुग में आओ न.... 

यशोदा मईया तेरे इंतजार में कब से सोयी नहीं है, 
लल्ला के इंतजार में मीठी सपनों में खोई नहीं है !
वो पचपन की शरारतें को याद कर रोती है मईया, 
आके उनको फिर से चैन से सुलाओ न !!
ओ कान्हा फिर से इस कलयुग में आओ न.... 

वो यमुना भी  कब से सुखी पड़ी है, 
सावन भी पता न क्यूं रूठी पड़ी है !
न ही ठीक से बरसती है बादलें अब, 
आके सभी को फिर से बुलाओ न !!
ओ कान्हा फिर से इस कलयुग में आओ न.... 

वो पांडव भी अब कहां ठीक से रहते हैं, 
वो द्रौपदियों  को हर रोज पीटते हैं, 
ऐसे तो मिट जाएगी सारी धरती, 
उनको भी कुछ आके बतलाओ न !!
ओ कान्हा फिर से इस कलयुग में आओ न.... 

अब वो सुदामा वाली दोस्ती नहीं मिलती , 
वो सतुआ और भुंजे वाली गठरी नहीं मिलती !
भूल गए हैं सब तेरे वो पुरानी दोस्ती को ओ कान्हा, 
एक बार आ के फिर से वो प्यारी युग लाओ न !!
ओ कान्हा फिर से इस कलयुग में आओ न.... 

वो मीरा भी अब तेरे  इंतजार में न रहती है, 
न ही तेरे परछाई को देख सवरती है !
हो गए है सब पश्चिमी सभ्यता के दीवानें, 
उन्हें अपनी सभ्यता के पाठ पढ़ाओ न !!
ओ कान्हा फिर से इस कलयुग में आओ न.... 
              :- संतोष 'सागर' ओ कान्हा फिर से इस कलयुग में आओ न....  #जन्माष्टमी #कृष्णा #शयामा __मुकेश-- Kђusђi SiŇgђ😟 Pratibha Tiwari(smile)🙂 Sandhya 💞 #suman#