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एक कोना है घर का जहां मेरा बसेरा है, पूरे घर में उ

एक कोना है घर का जहां मेरा बसेरा है,
पूरे घर में उजाला है बस उसी कोने में अंधेरा है
तन्हा है अकेला है तकलीफों में सब है
पर क्यों बेबस सिर्फ मन मेरा है
मेरी गलती सिर्फ इतनी है कि मुझे
गलती करके माफी मांग लेना तो आता है,
पर मैं भूल जाती हूं की गलतियां किसी से भी
हो माफी मांगना सिर्फ मेरे हिस्से ही आता है
वो भी ठीक है माफी मांगने से कोई छोटा नही हो जाता है,
बस तकलीफ इस बात की है की क्या ये
सब सिर्फ मुझे समझना चाहिए हमेशा,
बाकियों को क्यों नहीं समझ आता है
दुखती है जो चीजें दिल में हमेशा और सब जानते हैं
वही सब कुछ हमेशा दोहराया जाता है
मुझे जैसे जताया जाता है की मेरी क्या यहमियत है,
अपने ऐसे होते है ऐसा तो गैरों के साथ भी मुझसे किया नही जाता है
पर मानती हूं फिर भी की कमी मेरी ही रही है कही न कही,
वरना दर्द में सिर्फ मैं ही क्यों होती किसी को तो तकलीफ होती ही कही
और अगर ऐसा नहीं है तो शायद मुझसे ही रिश्ते निभाने में कुछ चूक रह गई
पर पूछती हूं उनसे मैं अक्सर अंत में की बताओ ना
मेरी गलती को भी थी, तब कोई कुछ कह पाता है क्यों नही,
रिश्ता तो दोनों तरफ से निभाने से निभाता है
तो क्या मैंने कोशिश पूरी की थी नही
पर मुझे इन सब का जवाब कभी कोई देता है नही
पर फिर भी सारे इल्जाम मुझ पर है की गलती थी सारी मेरी ही
चलो मान लेती हूं की गलती भूल सब मेरी ही रही
दर्द भी हो रहा है क्यों की सिर्फ मुझे ही... दर्द...
#स्नेह_के_साथी #mywritingmywords #mywritingmythoughts #दर्द #pain #broken #lovehurtsalot #yqendingswithmemories
एक कोना है घर का जहां मेरा बसेरा है,
पूरे घर में उजाला है बस उसी कोने में अंधेरा है
तन्हा है अकेला है तकलीफों में सब है
पर क्यों बेबस सिर्फ मन मेरा है
मेरी गलती सिर्फ इतनी है कि मुझे
गलती करके माफी मांग लेना तो आता है,
पर मैं भूल जाती हूं की गलतियां किसी से भी
हो माफी मांगना सिर्फ मेरे हिस्से ही आता है
वो भी ठीक है माफी मांगने से कोई छोटा नही हो जाता है,
बस तकलीफ इस बात की है की क्या ये
सब सिर्फ मुझे समझना चाहिए हमेशा,
बाकियों को क्यों नहीं समझ आता है
दुखती है जो चीजें दिल में हमेशा और सब जानते हैं
वही सब कुछ हमेशा दोहराया जाता है
मुझे जैसे जताया जाता है की मेरी क्या यहमियत है,
अपने ऐसे होते है ऐसा तो गैरों के साथ भी मुझसे किया नही जाता है
पर मानती हूं फिर भी की कमी मेरी ही रही है कही न कही,
वरना दर्द में सिर्फ मैं ही क्यों होती किसी को तो तकलीफ होती ही कही
और अगर ऐसा नहीं है तो शायद मुझसे ही रिश्ते निभाने में कुछ चूक रह गई
पर पूछती हूं उनसे मैं अक्सर अंत में की बताओ ना
मेरी गलती को भी थी, तब कोई कुछ कह पाता है क्यों नही,
रिश्ता तो दोनों तरफ से निभाने से निभाता है
तो क्या मैंने कोशिश पूरी की थी नही
पर मुझे इन सब का जवाब कभी कोई देता है नही
पर फिर भी सारे इल्जाम मुझ पर है की गलती थी सारी मेरी ही
चलो मान लेती हूं की गलती भूल सब मेरी ही रही
दर्द भी हो रहा है क्यों की सिर्फ मुझे ही... दर्द...
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