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White रातों का सुकून अब कहाँ मिलता है, हर चेहरा म

White  रातों का सुकून अब कहाँ मिलता है,
हर चेहरा मुरझाया फिर कहाँ खिलता है..!

ज़ख़्मों पे नमक छिड़कना फितरत है सभी की,
किसी के ज़ख़्मों को कौन कहाँ सिलता है..!

ठोकरें ही ठिकाने लगाती हैं तरक्की,
वो जो गिरते गिरते ख़ुद संभलता है..!

कैसी भी हो डगर बिना अगर मगर,
अड़िग होकर सही पथ पे चलता है..!

यूँ ही मिलता नहीं सुख का सागर,
सब्र के साथ इंसान परिश्रम की आग में जलता है..!

सूरज की भाँति ज़िन्दगी चमकती जाती,
अँधेरे की अवधारणा को जीवन से उतारती..!

हर दुःख को समझ परीक्षा सामर्थता की,
आसानी से सुख में सफल हो निकलता है..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #sad_shayari #raatonkasukun