Unsplash *।।-अंधेरा-।।* मुझे अंधेरो से डर लगता है. क्युकी उसी अँधेरे मे मुझे नोचा गया. मै चिखी चिल्लाई लेकिन मेरा गला घोंटा गया. मुझे डर लगता है अंधेरा से जिस अंधेरे मे मुझेे नोचा गया. मेरे उतने चिल्लाने पर भी उन्हें दया नहीं आई. क्या इंसानियत अब मर गयी क्या जो उन्हें मुझपे तरस न आई. अब अंधेरा तो दूर उजाले से भी डर लगता है. काले से कपड़े थे उनके और अंधेरा सा कमरा था. हाँ याद है मुझे उसने कान मे कुछ तो पहना था. ज़ब मै चिखी तब उसने मेरा मुँह बंद किया. तब उनकी गले की चैन को मैंने खींचा था. अंधेरा से मुझे डर लगता है. क्युकी उसी अंधेरे मे मुझे नोचा था. 🥺 ©Pari Lahuriya #library अंधेरा 'अच्छे विचार'