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न किसी के दिल की हूँ आरजू, न किसी नजर की हूँ जुस्त

न किसी के दिल की हूँ आरजू,
न किसी नजर की हूँ जुस्तजू,
मैं वो फूल हूँ जो उदास है,
न बहार आए तो क्या करूँ।
कहीं किसी रोज यूँ भी होता,
हमारी हालत तुम्हारी होती,
जो रात हमने गुजारी तड़प कर,
वो रात तुमने गुजारी होती।
कुछ उनकी वफ़ाओं ने लूटा,
कुछ उनकी इनायत मार गई,
हम राज़-ए-मोहब्बत कह न सके,
चुप रहने की आदत मार गई।
मुझसे वास्ता नहीं रखना तो,
फिर मुझपे नजर क्यूँ रखता है?
मैं किस हाल में ज़िन्दा हूँ,
तू मेरी खबर क्यूँ रखता है?
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©अ..से..(अखिलेश).$S....'''''''''!
  Ab Mujhe Khushi ki jarurat Nahin.....🙎

Ab Mujhe Khushi ki jarurat Nahin.....🙎 #लव

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