ख़ुद ही को आज़माने लौट आती हूँ तेरी गिरफ़्त में, मरज़-ए-इश्क़ की दवा अब भी बाक़ी है "मरज़-ए-इश्क़ जिसे हो उसे क्या याद रहे, न दवा याद रहे और न दुआ याद रहे" ~ शेख़ इब्राहीम ज़ौक़ मरज़-ए-इश्क़ - ailment of love #गिरफ़्त #मरज़_ए_इश्क़ #yqdidi #yqbaba