The Guest कण कण में इस हिन्द की सोच आगंतुक जो भी वो देव है, वक्त है चाल निराली बंद कर दरवाजा दर पै आया कोरोना कुदेव है! अतिथि है किन्तु इससे पूछो आखिर जाना तुझको मगर कब है? देने को देते सबको मान यहां बिन बुलाए आ धमका जो गांव मेरे ने आखिर मेहमान तुझको कहा ही कब है? पापी नीच कमीन अधम निरा ही निपान, लाशों के हैं अम्बार लगे जहां भी पहुंचा तू जब है। दूर हटो हाथ छुड़ाओ कारण इसके अश्क बिरहा के क्या कम है, भूखी आंतें सूनी सड़कें घर जैसे बे मियादी कारावास, कैसे कहूं तू रूप खुदा का हरकत से तू हैवानों से क्या कम है। राजेश गुप्ता'बादल'मुरैना मध्यप्रदेश #अतिथि #मेहमान #शैतान #हैवान #कोरोना #nojoto #all The Guest कण कण में इस हिन्द की सोच आगंतुक जो भी वो देव है, वक्त है चाल निराली बंद कर दरवाजा