अब रोशनी नहीं होती सहन मुझसे अंधेरों को मैने बना लिया आसरा है अकेलापन और अंधेरा बन गए साथी मेरे तेरी यादों का जीवन में एक सहारा है लबो पर आता नहीं आजतक नाम तेरा तू कही बदनाम ना हो ये ही काम मेरा बेवफाई की जो तूने मोहब्बत में "गोया" अब मुझे "बेनाम" होकर ही अंधेरों में जीना है © Deepak Sharma #अँधेरा