बचपन के दोस्त (ग़ज़ल) वो किताबें पेंसिल खिलौनें कोई लौटाने तो आए, चिल्लर ज़्यादा क़ीमती है कोई बताने तो आए। ना क्रिकेट ना स्कूल ना वो बचपन के दोस्त रहे, कोई लगाकर गले बचपन याद दिलाने तो आए। सबसे हसीं मोड़ ज़िंदगी का जैसे कल की बात थी, कोई पकड़कर हाथ मेरा फ़िर साथ निभाने तो आए। जेबें खाली दिल बड़ा वो मासूमियत कहाँ बचीं, हम ख़ुद से नाराज़ है फिर कोई मनाने तो आए। चल चलकर हज़ारों मील थक चुका हूँ 'अंजान' , लौटना चाहता हूँ गोद में बस माँ बुलाने तो आए। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #yqdidi #yqbaba #yourquotedidi #मेरा_बचपन #आशुतोष_अंजान #asetheticthoughts