तू कह तो अरफ़ान मैं मुहब्बत का ख़ानक़ाह-ए-इश्क़ हो जाऊं
मंज़िल-ए-मक़सूद कैसी इश्क़ मे , तू कह तो मैं तेरी राह-ए-गर्द हो जाऊं
ख़ानक़ाह-ए-इश्क़ :- मुहब्बत करने वालो की एक जगह , आश्रम , रुकने की जगह
मंज़िल-ए-मक़सूद :- टारगेट , गोल
राह-ए-गर्द :- राह की धूल #Poetry#Love#Hindi#nojotohindi#hindipoetry#nojotowriters#poetrylove