अमावस का छाया अंधेरा पूर्णिमा का चाँद खिला जा कि गुरु पूर्णिमा है बेनूर जिंदगी में नूर अपना बरसा जा कि गुरू पूर्णिमा है। सत्संग को तरस गये नीरस जीवन हुआ तू आके सत्संग सुना जा कि गुरु पूर्णिमा है। नयन ताक ताक हारे तेरी बाट तू आके दरस दिखा जा कि गुरु पूर्णिमा है। इस बेचैन दिल को कुछ नाही सूझे तू आके इस दिल को समझा जा कि गुरु पूर्णिमा है। मन लगे न मेरा राम नाम में तू भजन सिमरन करवा जा कि गुरु पूर्णिमा है। मेरी नय्या डूब रही बीच भंवर में नय्या मेरी तू आके पार लगा जा कि गुरु पूर्णिमा है। बिरह अगन में झुलस रहा तन बदन तू आके बिरह अगन बुझा जा कि गुरु पूर्णिमा है। बाबा तूँ और न कर दिल जोरियाँ तू दिल दियां लगियाँ निभा जा कि गुरु पूर्णिमा है। ब्यास की आस में जी रही तेरी संगत प्यारे संगतां नूं ब्यास बुला ला कि गुरु पूर्णिमा है। दुआ सलाम साडी कबूल करीं मेरे मालका सानूँ राधा स्वामी बुला जा कि गुरु पूर्णिमा है। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 05.07.2020 अमावस का उजाला