पल्लव की डायरी केशर सी धरती प्यारी,स्वर्ग हुआ करती थी कोमल सुकमारी सौंदर्य बनकर श्रृंगार भारत का करती थी कश्यप ऋषि की तपो भूमि और पंचतंत्र की कहानी से देवत्त्व मानव में भरती थी सत्य अहिंसा के संदेशों को ग्रहण करने भव्य आत्माएं कल्याण करने समाधिस्थ होती थी शान्ती की खोज करने,महान आत्माये यहाँ विचरती थी कौन खा गया शान्ती इसकी,प्रवर्ती राक्षसी पनपी है रक्तपात से उजड़ी क्यारी,जड़ो में बारूद बोया है उन्मादी खेलो ने, कैसी विसात बिछायी घाटी आज भी घायल है नरसंहारों की गाथा लिखने वाले, आज भी पकड़ से गायब है कितनी फाइले गवाही दे रही,कश्मीरी पंडित कराह रहा कश्मीर मस्तक भारत का है,मुकुट कौन दरिंदा उतार रहा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #KashmiriFiles कश्मीर मस्तक भारत का है,मुकुट कौन दरिंदा उतार रहा #KashmiriFiles