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आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो साया कोई लहरा

आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो 

साया कोई लहराए तो लगता है कि तुम हो 

जब शाख़ कोई हाथ लगाते ही चमन में 

शरमाए लचक जाए तो लगता है कि तुम हो 

संदल से महकती हुई पुर-कैफ़ हवा का 

झोंका कोई टकराए तो लगता है कि तुम हो 

ओढ़े हुए तारों की चमकती हुई चादर 

नद्दी कोई बल खाए तो लगता है कि तुम हो 

जब रात गए कोई किरन मेरे बराबर 

चुप-चाप सी सो जाए तो लगता है कि तुम हो

©Mohd Arsh malik #Stars poet jaa nisar Akhtar
आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो 

साया कोई लहराए तो लगता है कि तुम हो 

जब शाख़ कोई हाथ लगाते ही चमन में 

शरमाए लचक जाए तो लगता है कि तुम हो 

संदल से महकती हुई पुर-कैफ़ हवा का 

झोंका कोई टकराए तो लगता है कि तुम हो 

ओढ़े हुए तारों की चमकती हुई चादर 

नद्दी कोई बल खाए तो लगता है कि तुम हो 

जब रात गए कोई किरन मेरे बराबर 

चुप-चाप सी सो जाए तो लगता है कि तुम हो

©Mohd Arsh malik #Stars poet jaa nisar Akhtar