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उस शाम वो बैठे हुए थे बच्चों संग टी.वी. के रंग, तभ

उस शाम वो बैठे हुए थे बच्चों संग टी.वी. के रंग,
तभी सुनाई दी रात 8 बजे से 500 और 1000 के नोट बंद,
शर्मा जी के मुँह खुले रह गए, सुनके बीवी हो गयी दंग,
उस रात हम टी.वी. छोड़ पाये गए ए. टी.एम. के संग,
सुबह-सुबह हुए चर्चे शुरू, सबके हाथ 500,1000 नज़र आते,
कहते-फिरते लिए हाथों में नोट, भाई साहब इसके छुट्टे मिल जाते,
जहाँ-जहाँ बैंक वहाँ-वहाँ देखो, लोग लम्बी लाइने लगाए हुए हैं,
सुबह से हो गयी शाम लेकिन उदासी ही घर लेकर आये हुए हैं
शर्मा जी को हुए बहुत कष्ट, मैने पूछा- आपको नोटबन्दी भावे??
शर्मा जी भी मुँह गिराए कहें, भाई दिमाग तो इसने सही ही लगावे,
जिसकी-2 पड़ी शादी-ब्याह, उदासी तो घर में छाएंगे,
सबके दिमाग में यही प्रश्न, क्या राज-सिमरन आज एक हो पाएंगे,
समय बीतते-2 सब सही हुआ, फिर हुआ 2000 नोट का आविष्कार,
जिसको हम आज भी सड़को पर कहते-फिरते, छुट्टे दे दे यार..छुट्टे दे दे यार।

 #thirdpoem 
#prashant_kumar 
#pk_poetry
उस शाम वो बैठे हुए थे बच्चों संग टी.वी. के रंग,
तभी सुनाई दी रात 8 बजे से 500 और 1000 के नोट बंद,
शर्मा जी के मुँह खुले रह गए, सुनके बीवी हो गयी दंग,
उस रात हम टी.वी. छोड़ पाये गए ए. टी.एम. के संग,
सुबह-सुबह हुए चर्चे शुरू, सबके हाथ 500,1000 नज़र आते,
कहते-फिरते लिए हाथों में नोट, भाई साहब इसके छुट्टे मिल जाते,
जहाँ-जहाँ बैंक वहाँ-वहाँ देखो, लोग लम्बी लाइने लगाए हुए हैं,
सुबह से हो गयी शाम लेकिन उदासी ही घर लेकर आये हुए हैं
शर्मा जी को हुए बहुत कष्ट, मैने पूछा- आपको नोटबन्दी भावे??
शर्मा जी भी मुँह गिराए कहें, भाई दिमाग तो इसने सही ही लगावे,
जिसकी-2 पड़ी शादी-ब्याह, उदासी तो घर में छाएंगे,
सबके दिमाग में यही प्रश्न, क्या राज-सिमरन आज एक हो पाएंगे,
समय बीतते-2 सब सही हुआ, फिर हुआ 2000 नोट का आविष्कार,
जिसको हम आज भी सड़को पर कहते-फिरते, छुट्टे दे दे यार..छुट्टे दे दे यार।

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#pk_poetry