जब लाख इबादत करके भी न कोई इनायत मिलती है,
जब हर किसी के लफ़्ज़ों में बस एक शिकायत मिलती है,
जब सबके ताने सुन-सुन कर मैं अश्क़ बहाया करता हूँ,
वो समझाती है मुझको, मैं क्यूँ ये मोती ज़ाया करता हूँ,
जब नाराज़ खुदा ये होता है, वो रब मेरी बन जाती है,
तो महताब मैं उसका होता हूँ,वो शब मेरी बन जाती है..!!
जब शोला कोई शबनम से मिलने को आतुर होता है,