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जब इश्क़ निभाने में आड़े मज़हब के पैमाने होते हैं, ये

जब इश्क़ निभाने में आड़े मज़हब के पैमाने होते हैं,
ये इतिहास गवाह है उन सबका,वो अमर दीवाने होते हैं,
जब हरहाल में मुझको पाने को,वो हर मज़हब से लड़ जाती है
तो महताब मैं उसका होता हूँ,वो शब मेरी बन जाती है..!!

(Please Read Full Poem In Caption) जब लाख इबादत करके भी न कोई इनायत मिलती है,
जब हर किसी के लफ़्ज़ों में बस एक शिकायत मिलती है,
जब सबके ताने सुन-सुन कर मैं अश्क़ बहाया करता हूँ,
वो समझाती है मुझको, मैं क्यूँ ये मोती ज़ाया करता हूँ,
जब नाराज़ खुदा ये होता है, वो रब मेरी बन जाती है,
तो महताब मैं उसका होता हूँ,वो शब मेरी बन जाती है..!!

जब शोला कोई शबनम से मिलने को आतुर होता है,
जब इश्क़ निभाने में आड़े मज़हब के पैमाने होते हैं,
ये इतिहास गवाह है उन सबका,वो अमर दीवाने होते हैं,
जब हरहाल में मुझको पाने को,वो हर मज़हब से लड़ जाती है
तो महताब मैं उसका होता हूँ,वो शब मेरी बन जाती है..!!

(Please Read Full Poem In Caption) जब लाख इबादत करके भी न कोई इनायत मिलती है,
जब हर किसी के लफ़्ज़ों में बस एक शिकायत मिलती है,
जब सबके ताने सुन-सुन कर मैं अश्क़ बहाया करता हूँ,
वो समझाती है मुझको, मैं क्यूँ ये मोती ज़ाया करता हूँ,
जब नाराज़ खुदा ये होता है, वो रब मेरी बन जाती है,
तो महताब मैं उसका होता हूँ,वो शब मेरी बन जाती है..!!

जब शोला कोई शबनम से मिलने को आतुर होता है,
uttamdixit1025

Uttam Dixit

New Creator

जब लाख इबादत करके भी न कोई इनायत मिलती है, जब हर किसी के लफ़्ज़ों में बस एक शिकायत मिलती है, जब सबके ताने सुन-सुन कर मैं अश्क़ बहाया करता हूँ, वो समझाती है मुझको, मैं क्यूँ ये मोती ज़ाया करता हूँ, जब नाराज़ खुदा ये होता है, वो रब मेरी बन जाती है, तो महताब मैं उसका होता हूँ,वो शब मेरी बन जाती है..!! जब शोला कोई शबनम से मिलने को आतुर होता है,