जब जब इस दुनिया को जाना, तब तब सिर्फ इतना ही पहचान, ये दुनिया रुपयों से चलती है, अपनों से नहीं!! किसी ने कहा है, पृथ्वी हवा में टिकी है, मुझे तो शक है, क्योंकि मुझे लगता है ये पृथ्वी भी रुपयों पर ही टिकी है !!!