40. प्रेम वार्ता एक खाली आकाश में दो पंछी, विचरणशील भ्रमण मेघों की लहरों में, वो उत्तर से, एक दक्षिण से, दिशाओं को जोड़कर दिलों की सैर में, फिजूल की आंधियों को छोड़कर, मस्त है प्रेम की सरल लहरों में उड़ने में. जिदंगी बनने की जगह में, दोनों हम होने में, सांसों की गहराई में, संध्याकाल की पीत आभा में, मीत से प्रीत बनने में, हमारी बहती कहानियों में, हम करेगे सुनहरी वार्ता, हां, करेगे प्रेमवार्ता, आवाज नहीं, शब्द नहीं, तब भी करेगे प्रेम वार्ता. ©Ankit verma utkarsh❤ collection:- ठंडी धूप 40th poetry #walkingalone