अपनी पैनी नजरों को जमाए घात लगा कर बैठा रहता ऊपर गिद्ध-सा सौदागर है लाशों का इसे तलब है तो बस अहम की अपने अहम की तुम्हारा हाड़-मांस का शरीर बस इन का मसाला है जिसे यह अपने स्वार्थ के लिए अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल करते हैं इन्हें जरूरत होती है जब भी मसालों की हर बार कुछ नया करते हैं कभी हवा कभी पानी फिर कभी लोहे स्वाद देते हैं फिर चलाते हैं दिव्ययान जिसे रखा रहता है तुम्हारे चिथड़े ढोने को तुम्हारी अधजली लाशों को पूरा जलाने को सड़ चुके बदन को जमींदोज करने को फिर निकलता है शाही एलान लगा रहता है तुम्हारे अस्थि-पंजर का मुकम्मल दाम तुम्हारी रोटियों का हिसाब जिसे अभी देना था तुमको अपनी बीवी बच्चों को तौल दी जाती है तुम्हारी भावनाएं चंद कागज़ के टुकड़ों से ©वरुण " विमला " " आम लोग " #nojoto #nojotohindi #सियासत #किसान #ग़रीब #मज़दूर #मौत