क्या जाने किसकी प्यास बुझाने किधर गई। इस सर पे झूम के जो घटाए गुजर गई। दीवाना पूछता है ये लहरों से बार- बार कुछ बस्तियां यहां थी बताओ किधर गई अब जिस तरफ से चाहे गुजर जाए करवा विरानियो तो सब मेरे दिल में उतर गई। पैमाने टूटने का कोई ग़म नहीं मुझे । ग़म ये है कि चांदनी रते बिखर गई!