भारतवर्ष में नागो के पूजन की भी संस्कृति है, देवालयों में स्थापित नागेश्वर की प्रतिमूर्ति है। शेषनाग के फन पे धरी धरा ऐसी किवदंती है, नाग पूजन का उत्सव कहलाता नागपंचमी है। नीलकंठ भी नागों से करते गले का श्रृंगार है, तक्षक राज भोलेनाथ के सिर पे शिरोधार्य है। नागों के पूजन से होती मनोकामनाएं पूर्ण है, ऐसे त्यौहारों से ही बनती संस्कृति सम्पूर्ण है। JP lodhi 25/07/2020 #nagpanchmi #Nojoto #Nojotohindi #Nojotoorigenal #Poeety