कविता शीर्षक :: "ना जाने क्या होगा.." तीव्र विकास के अन्धदौड़ में लिप्त नीति प्रदूषण का जल दूषित है थल दूषित है खतरा प्राणवायु के दूषण का, विषम पारिस्थितिक तन्त्र और विफल नीति सरकारों का आगामी पीढ़ी के साँसों का आधार ना जाने क्या होगा?? और अभी भी जिन्दगियों से खिलवाड़ ना जाने क्या होगा?? {कृपया पूरी कविता नीचे अनुशीर्षक में पढ़े......} कविता शीर्षक :: "ना जाने क्या होगा.." और अभी भी ज़िन्दगियों से खिलवाड़ ना जाने क्या होगा वैद्य-हकीम व्यापारी बन-बन लूट मचाई औषधिखाने से, व्यवसायिक शिक्षा-प्रणाली भ्रष्ट्रतंत्र विद्यालय के विकसित हो रहे बच्चों का संस्कार ना जाने क्या होगा?? और अभी भी जिन्दगियों से.............