क़ाश कि वो , ग़मज़दा न हो । उसका कोई, नाखुदा न हो । सबे-हिज्रां की , कहानी न हो , संगे-बुतां की, दीवानी न हो। वरना गुज़र जाती हैं सदियां , उम्र के दो दिन , गुज़ारने मे । OPEN FOR COLLAB✨ #ATज़िन्दगीछोटीनहीं • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨ Collab with your soulful words.✨ • Must use hashtag: #aestheticthoughts • Please maintain the aesthetics.