सुनो, अब परेशानियों से डर कैसा इश्क़ में फ़क़ीर हुए को घर कैसा.. ! राह कठिन ना हो तो वो सफ़र कैसा.. मंज़िल हासिल करने का असर कैसा..! छोड़ दे साथ किसी का जो बीच राह वो बनेगा किसी का हमसफ़र कैसा...! जो ख़ुद राह से भटका हुआ हो तो ज़रा सोचिए होगा वो रहबर कैसा..! ♥️ Challenge-570 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।