आवाज़ तेरी आवाज़ सुनने को। यूं मै बेकरार हूं। सुबह उठ के पढ़े मुझे। इस लिए बना अखबार हूं। तेरे घर पड़ा हूं। किसी वस्तु सा। तू मुझे छू तो सही। मैं गुल बन के खिलने को तैयार हूं। सिर्फ पढ़ना मत मुझे समझो भी कभी। तेरी खुशियों के रास्ते खोलने को तैयार हूं। कुछ तो बोल कीमत तो बता अपनी हसी की। तेरी एक हसीं की खातिर। मैं खुद बिकने को तैयार हूं। ताहिर।।। तेरी आवाज़ सुनने को