आखिरी मुलाकात तो हमारी हुई ही नहीं अभी तो इश्क का खुमार छाया ही था क्या कहूं ? अब मैं किसने मुझे रुलाया था रात के अंधेरों में मैंने खुद को जो छुपाया था बिना चिंगारी के मैं रात भर जलती रही बात उसने मुस्कुरा कर जो मुझसे कहा था भूल जाना ये सुनकर मुझे कुछ तो हुआ था सिमट कर आंसुओं के बरसात में मैंने खुद को जो हंसाया था तेरा चले जाना अब बहुत अच्छा लगता है झूठ के दुनियां में हर इंसान टूटा लगता है कुछ पाया मैंने जो मुझे हर रोज़ संभाला करता है ख़ुद को पाकर मैंने उसके यादों को जो मिटाया था _______________________________________________ आखिरी मुलाकात तो हमारी हुई ही नहीं अभी तो इश्क का खुमार छाया ही था क्या कहूं ? अब मैं किसने मुझे रुलाया था रात के अंधेरों में मैंने खुद को जो छुपाया था बिना चिंगारी के मैं रात भर जलती रही