बे-मुरादा ही खल्वतों में रहना पड़ता है, ना कहते हुए भी बहुत कुछ कहना पड़ता है, अदाएगी मुहब्बत की कुछ यूं चुकाई जाती, जान मेहबूब पे लुटाई जाती है, यूं ही नफरतों को सहना पड़ता है, लहू को भी आब सा बहना पड़ता हैं..... #बे_मुरादा #खलवतों #सहना #अदाएगी #मुहब्बत #जान #लहू_आब #शायर_ए_बदनाम