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गुफ्तगूं ये हवायें हैं करने लगी चांदनी बन के खुश्ब

गुफ्तगूं ये हवायें हैं करने लगी
चांदनी बन के खुश्बू बिखरने लगी
शाम ने है बिखेरा अपनी जुल्फो को यूँ
अब फिजा मे बगावत सी होने लगी

इब्तिदा ए फिजा कुछ ऐसी हुई
बन दिवानी ये कोयल बहकने लगी
इश्राक चुमती दामन-ए-उफ़्क को
हर कली मे है कुदरत संवरने लगी

फजा महकी महकी सी पागल हुई
क़मर गुम हुआ गेसुओं मे कहीं
गफलत मे है ज़ौ अभी रात के
ज़िया हर कली मे बिखरने लगी

राजीव मिश्रा "समन्दर" #NojotoQuote kunwar khushwant Disha Patel Radhey Ray Anuj Mishra Atal Gariya
गुफ्तगूं ये हवायें हैं करने लगी
चांदनी बन के खुश्बू बिखरने लगी
शाम ने है बिखेरा अपनी जुल्फो को यूँ
अब फिजा मे बगावत सी होने लगी

इब्तिदा ए फिजा कुछ ऐसी हुई
बन दिवानी ये कोयल बहकने लगी
इश्राक चुमती दामन-ए-उफ़्क को
हर कली मे है कुदरत संवरने लगी

फजा महकी महकी सी पागल हुई
क़मर गुम हुआ गेसुओं मे कहीं
गफलत मे है ज़ौ अभी रात के
ज़िया हर कली मे बिखरने लगी

राजीव मिश्रा "समन्दर" #NojotoQuote kunwar khushwant Disha Patel Radhey Ray Anuj Mishra Atal Gariya