कहानी कुछ किरदारों के अजीब होते है गर समझना है तुमको , तो पहले समझो ख़ुदको क्या पता समझने समझाने का सिलसिला निकल पड़े और तुम्हारा किरदार ही तुम्हारे अंदर से निकल पड़े वाजिब है कि, ये थोड़ा अटपटा सा लगे तुम्हारा ख़ुद का बेस्वाद क़िरदार ही तुम्हें चटपटा सा लगे अरे ! बस यही तो करना है हां हां , थोड़ा खुद का नज़रिया ही तो बदलना है फ़र्क बस करने और नहीं करने में नहीं का है वक्त अब जिंदगी में सब कुछ सही करने का है क्योंकि, कुछ किरदार हमारी जिंदगी के बेहद क़रीब होते है कहानी कुछ किरदारों के अजीब होते है। कहानी कुछ किरदारों के अजीब होते है गर समझना है तुमको , तो पहले समझो ख़ुदको क्या पता समझने समझाने का सिलसिला निकल पड़े और तुम्हारा किरदार ही तुम्हारे अंदर से निकल पड़े वाजिब है कि,