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✔️दोहा ------- अभिमान  के चाबुक से, गई जंतु की जा

✔️दोहा 
-------
अभिमान  के चाबुक से, गई जंतु की जान ।
ये हरि मनुज बता रहा, है खुद को भगवान।।

दिनकर आया तम हटा, चहक उठा परिवार।
सारी कलियाँ खिल गई, महक उठा संसार ।।

मेरे  मन के  मीत  तुम, सुन  लो  इतनी बात।
अब तुम्हारे बिना पिया, है कटती  नहिं रात।।

जाति मजहब में उलझा, आज हमारा देश। 
कुविचार के मरीज से, कैसे बचाये नरेश।। 
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कुन्दन "कुंज"
पूर्णिया, बिहार

©KUNDAN KUNJ #दोहे
#कुन्दन_कुंज 
#kavikundan 
#kundankunj 

#Rose
✔️दोहा 
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अभिमान  के चाबुक से, गई जंतु की जान ।
ये हरि मनुज बता रहा, है खुद को भगवान।।

दिनकर आया तम हटा, चहक उठा परिवार।
सारी कलियाँ खिल गई, महक उठा संसार ।।

मेरे  मन के  मीत  तुम, सुन  लो  इतनी बात।
अब तुम्हारे बिना पिया, है कटती  नहिं रात।।

जाति मजहब में उलझा, आज हमारा देश। 
कुविचार के मरीज से, कैसे बचाये नरेश।। 
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कुन्दन "कुंज"
पूर्णिया, बिहार

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