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बचपन का वो एक रुपया मिलने से आंसू रुक जाते थे रोते

बचपन का वो एक रुपया मिलने से आंसू रुक जाते थे
रोते हुए चेहरे पे मुस्कान खिल से जाते थे
एक दिन वो एक रुपया बहुत आम होगा ये तो पता था
मगर बचपन वाली वो हँसी न होगी ये पता न था
बड़े होकर बहुत सारे दोस्त होंगे, जो मर्जी वो खाएंगे, जबी तक मर्जी  घूमेंगे, मां पाप से पिटाई भी नहीं खाएंगे ये सब तो पता था
पर कभी खुदसे मिलना का भी वक़्त न होगा, ये पता न था
कितने नादान थे न,... 
सोचते थे "बड़े होकर ज्यादा अक्ल होगी, 
ज्यादा समझ होगी, सब कुछ फिर आसानी से क्र पाएंगे
मगर कभी खुद की उलझनों में यूँ, उलझ से जायेंगे, ये पता न था

©MD Shahadat #mdshahadat #bachpan #rupya #socha na tha #poem #kavita #yaadein #puranedin #hasi
बचपन का वो एक रुपया मिलने से आंसू रुक जाते थे
रोते हुए चेहरे पे मुस्कान खिल से जाते थे
एक दिन वो एक रुपया बहुत आम होगा ये तो पता था
मगर बचपन वाली वो हँसी न होगी ये पता न था
बड़े होकर बहुत सारे दोस्त होंगे, जो मर्जी वो खाएंगे, जबी तक मर्जी  घूमेंगे, मां पाप से पिटाई भी नहीं खाएंगे ये सब तो पता था
पर कभी खुदसे मिलना का भी वक़्त न होगा, ये पता न था
कितने नादान थे न,... 
सोचते थे "बड़े होकर ज्यादा अक्ल होगी, 
ज्यादा समझ होगी, सब कुछ फिर आसानी से क्र पाएंगे
मगर कभी खुद की उलझनों में यूँ, उलझ से जायेंगे, ये पता न था

©MD Shahadat #mdshahadat #bachpan #rupya #socha na tha #poem #kavita #yaadein #puranedin #hasi
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MD Shahadat

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