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*बच्चे : देश के भविष्य* ================= कभी सड़को

*बच्चे : देश के भविष्य*
=================
कभी सड़कों के किनारे, कभी मेट्रो स्टेशन्स के बाहर,
कभी ट्रैफिक सिग्नल पर, कभी मंदिरों के बाहर।
कभी हाथ फैलाये, कभी गुब्बारे बेचने को आये,
हाँ देखा है मैंने देश के भविष्य को, देश की वर्तमान दशा से लड़ते ।।
छोटी-छोटी आँखों में बड़े-बड़े सपने, मुट्ठी में करने चले हैं ये अपने।
आसमां की ऊँचाई को हौसलों से नापने, कल की किताबों में अपनी तस्वीर छापने।।
नन्ही-सी उम्र में आजीविका का बड़ा बोझ सँभालते,
अपने होठों की मुस्कान को फिर भी हर पल निखारते।
अपने किस्मत की लकीरों को, अपने जज्बे से सँवारते,
हाँ देखा है मैंने देश के भविष्य को, देश की वर्तमान दशा से लड़ते ।।

©Muskan Satyam #ChildrensDay  #FutureofIndia #CHILD_LABOUR
*बच्चे : देश के भविष्य*
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कभी सड़कों के किनारे, कभी मेट्रो स्टेशन्स के बाहर,
कभी ट्रैफिक सिग्नल पर, कभी मंदिरों के बाहर।
कभी हाथ फैलाये, कभी गुब्बारे बेचने को आये,
हाँ देखा है मैंने देश के भविष्य को, देश की वर्तमान दशा से लड़ते ।।
छोटी-छोटी आँखों में बड़े-बड़े सपने, मुट्ठी में करने चले हैं ये अपने।
आसमां की ऊँचाई को हौसलों से नापने, कल की किताबों में अपनी तस्वीर छापने।।
नन्ही-सी उम्र में आजीविका का बड़ा बोझ सँभालते,
अपने होठों की मुस्कान को फिर भी हर पल निखारते।
अपने किस्मत की लकीरों को, अपने जज्बे से सँवारते,
हाँ देखा है मैंने देश के भविष्य को, देश की वर्तमान दशा से लड़ते ।।

©Muskan Satyam #ChildrensDay  #FutureofIndia #CHILD_LABOUR