झूठ बोले कौव्वा काटे हाँ बचपन के साथी कौवे होते थे,जैसे हरि हाथ सुँ ले गयो माखन रोटी,,,,वह बचपन कौओ वाला ,,,,,बहुत यादगार लम्हो वाला,,, कौआ वाला बचपन,हँसता सावन,,,,अति मन भावन,,,,,,,,,हँसता मधुवन ,,,,,,, ओम भक्त मोहन बनाम कलम मेवाड की कृत9549518477