हादसे होते रहे और मै सहता रहा, अश्रु रुपी खूं हमारी आंख से बहता रहा। आंधियां बहती रहीं नफरतों की हर तरफ, और जहां में फिर भी मै फूलता फलता रहा।। skp@basti हादसे होते रहे और मै सहता रहा, अश्रु रुपी खूं हमारी आंख से बहता रहा। आंधियां बहती रहीं नफरतों की हर तरफ, और जहां में फिर भी मै फूलता फलता रहा।। skp@basti