उसके पायल की छनक गुंजती कानों में आज भी हैं, लिखे थे नाम जो पेड़ पर हुबहू आज भी हैं, कभी तो गुजरी थी वो इन राहों से, तभी इन हवाओं में महक आज भी हैं। ©Ajit Bhai Yadav #ddlj #पायल #payal RJ_Keshvi कवि संतोष बड़कुर